Wednesday, June 13, 2018

जाने दो न !

जाने दो न !
जो होगा अच्छा होगा |अब तक जो भी हुआ है अच्छा ही तो हुआ है |आगे भी अच्छा ही होगा |" समझाने बुझाने का खेल चलता रहता है | कभी लोग समझाते हैं, तो कभी हम | और जिंन्दगी चलती जाती है | नियम क्या है ? मेरा मानना है की कोई नियम नहीं है जिंदगी का | नियम हम बनाते हैं और वक्त आने पर उस नियम को तोड भी देते हैं |

     प्रकृति का नियम इस बात का बहुत अच्छा उदाहरण है |सब कुछ एकदम अच्छा चल रहा होता है पर अचानक ही सब बदल जाता है |प्रकृति जब अपने विद्धवंशक रूप मे आती है तो प्रलय आता है |हम नही जानते की क्या होने को है |और हम कहते हैं कि ये तो प्रकृति का नियम है |क्या ये सच मे नियम है ?जब जीवन अपने रासते पर सरपट चल रहा होता है तो कोई नही जानता की अगले ही पल क्या होने वाला है |हमारे नियम और हमारी योजनाऐं सिर्फ एक माध्यम है, अपने मन और मस्तिष्क को एक सुखद एहसास देने का |यह एक तरीका है स्वयं को भ्रमित होने से बचाने का |तो वास्तविक्ता क्या है ?
          वास्तविक्ता की अगर बात करें तो सिर्फ इतना कहुँगा की ज्यादा मत सोचो बस वो करते जाओ जो तुम्हारा मन कहता है |क्यौकी जिंदगी छोटी है ओर कितनी छोटी है ये बता पाना बेहद मुशकिल है |बस हमारे पास दो एहसास हैं |एक खुशी का एहसास और एक गम का एहसास |तुम खुश रहो या दुखी रहो, जीना हर हाल मे है |पर कब तक ये ना तुम जानते हो और ना हीं मैं जानता हुँ |तुम्हारा एहसास तुम स्वयं चुन सकते हो |दुख और सुख मे से एक को तुम चुन सकते हो |तुम अपने मन को भ्रमित होने से बचा सकते हो |परिस्थिति कितनी भी विषम हो उससे निपटने का बस एक ही रासता है |बस ये सोचो की जो हुआ सो हुआ, अब जो भी होगा वो अच्छा होगा |तुम्हारा प्रयास ही तुम्हारे आने वाले कल को निश्चित करेगा |आगे की सोचो और जो बीत गया उसे "जाने दो" |

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